शोधकर्ताओं का कहना है कि महामारी की स्थिति ने बच्चों में मस्तिष्क की उम्र
बढ़ने को तेज कर दिया है। माता-पिता अच्छी तरह से जानते हैं कि वैश्विक
महामारी के दौरान बच्चों ने अपने बचपन और समय का एक महत्वपूर्ण हिस्सा कैसे
बिताया।
मैदान पर कोई खेल नहीं। स्कूल में अन्य बच्चों और दोस्तों से बात न करें। साथ
ही कोई डांस नहीं, कोई गोल नहीं। साथियों से ज्यादा बातचीत और मेलजोल नहीं
होना। इन स्थितियों का प्रभाव बच्चों पर कैसे नहीं पड़ सकता है? मनोवैज्ञानिक
अब कहते हैं कि उनके पास सबूत हैं कि ये अनुभव बच्चों को प्रभावित करते हैं।
उनका सवाल है कि ऐसी परिस्थितियों में उनका दिमाग कैसे विकसित होता है।
बढ़ने को तेज कर दिया है। माता-पिता अच्छी तरह से जानते हैं कि वैश्विक
महामारी के दौरान बच्चों ने अपने बचपन और समय का एक महत्वपूर्ण हिस्सा कैसे
बिताया।
मैदान पर कोई खेल नहीं। स्कूल में अन्य बच्चों और दोस्तों से बात न करें। साथ
ही कोई डांस नहीं, कोई गोल नहीं। साथियों से ज्यादा बातचीत और मेलजोल नहीं
होना। इन स्थितियों का प्रभाव बच्चों पर कैसे नहीं पड़ सकता है? मनोवैज्ञानिक
अब कहते हैं कि उनके पास सबूत हैं कि ये अनुभव बच्चों को प्रभावित करते हैं।
उनका सवाल है कि ऐसी परिस्थितियों में उनका दिमाग कैसे विकसित होता है।