अध्ययनों से पता चलता है कि प्रदूषित हवा न केवल वयस्कों के लिए बल्कि छोटे
बच्चों के लिए भी बहुत खतरनाक है।विश्व स्वास्थ्य संगठन के पर्यावरणीय
स्वास्थ्य प्रमुख डॉ. मारिया मीरा ने इस मामले में शोध कर तथ्यों की जानकारी
दी है। इन निष्कर्षों से पता चलता है कि वायु प्रदूषण का गर्भवती महिलाओं पर
गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। यह चेतावनी दी जाती है कि समय से पहले बच्चों को
जन्म देने का जोखिम होता है, साथ ही कम वजन वाले बच्चों को जन्म देने की भी
संभावना होती है। वायु प्रदूषण न्यूरोडेवलपमेंट को भी प्रभावित कर सकता है। यह
बचपन में अस्थमा और कैंसर जैसी बीमारियों का कारण भी बनता है। चेतावनी दी गई
है कि वायु प्रदूषण की उच्च मात्रा छोटे बच्चों में हृदय रोग सहित गंभीर
बीमारियों के खतरे को बढ़ा सकती है।
वायु प्रदूषण बच्चों के दिमाग को भी नुकसान पहुंचा सकता है। विश्व स्वास्थ्य
संगठन के विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि यह उनके स्वास्थ्य को कमजोर करता है।यह
वायु प्रदूषण बच्चों में मानसिक रोगों का कारण तो बनता ही है साथ ही हड्डियों
का विकास भी रोक देता है। खासतौर पर फेफड़ों की कार्यक्षमता को नुकसान
पहुंचाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट है कि दुनिया भर में 15 वर्ष
से कम आयु के 93% बच्चे वायु प्रदूषण के संपर्क में हैं। डब्ल्यूएचओ की एक
रिपोर्ट कहती है कि पांच साल से कम उम्र के 63 करोड़ बच्चे वायु प्रदूषण के
कारण कई तरह की समस्याओं से जूझ रहे हैं। उच्च आय वाले देशों में, यानी विकसित
देशों में, पाँच वर्ष से कम आयु के 52 प्रतिशत बच्चे वायु प्रदूषण के संपर्क
में हैं। विश्व के 15 वर्ष से कम आयु के लगभग 40 प्रतिशत बच्चे वायु प्रदूषण
के कारण स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रहे हैं। अगर आप उन मामलों को देखें
जहां आप अपने ही घर में वायु प्रदूषण का सामना कर रहे हैं तो प्रदूषण खासकर
खाना पकाने के दौरान आता है। यह भी कहा जाता है कि कुछ ईंधनों के प्रयोग से भी
प्रदूषण होता है। यह सच है कि दुनिया के 90 प्रतिशत बच्चे वायु प्रदूषण से
पीड़ित हैं।
बच्चों के लिए भी बहुत खतरनाक है।विश्व स्वास्थ्य संगठन के पर्यावरणीय
स्वास्थ्य प्रमुख डॉ. मारिया मीरा ने इस मामले में शोध कर तथ्यों की जानकारी
दी है। इन निष्कर्षों से पता चलता है कि वायु प्रदूषण का गर्भवती महिलाओं पर
गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। यह चेतावनी दी जाती है कि समय से पहले बच्चों को
जन्म देने का जोखिम होता है, साथ ही कम वजन वाले बच्चों को जन्म देने की भी
संभावना होती है। वायु प्रदूषण न्यूरोडेवलपमेंट को भी प्रभावित कर सकता है। यह
बचपन में अस्थमा और कैंसर जैसी बीमारियों का कारण भी बनता है। चेतावनी दी गई
है कि वायु प्रदूषण की उच्च मात्रा छोटे बच्चों में हृदय रोग सहित गंभीर
बीमारियों के खतरे को बढ़ा सकती है।
वायु प्रदूषण बच्चों के दिमाग को भी नुकसान पहुंचा सकता है। विश्व स्वास्थ्य
संगठन के विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि यह उनके स्वास्थ्य को कमजोर करता है।यह
वायु प्रदूषण बच्चों में मानसिक रोगों का कारण तो बनता ही है साथ ही हड्डियों
का विकास भी रोक देता है। खासतौर पर फेफड़ों की कार्यक्षमता को नुकसान
पहुंचाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट है कि दुनिया भर में 15 वर्ष
से कम आयु के 93% बच्चे वायु प्रदूषण के संपर्क में हैं। डब्ल्यूएचओ की एक
रिपोर्ट कहती है कि पांच साल से कम उम्र के 63 करोड़ बच्चे वायु प्रदूषण के
कारण कई तरह की समस्याओं से जूझ रहे हैं। उच्च आय वाले देशों में, यानी विकसित
देशों में, पाँच वर्ष से कम आयु के 52 प्रतिशत बच्चे वायु प्रदूषण के संपर्क
में हैं। विश्व के 15 वर्ष से कम आयु के लगभग 40 प्रतिशत बच्चे वायु प्रदूषण
के कारण स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रहे हैं। अगर आप उन मामलों को देखें
जहां आप अपने ही घर में वायु प्रदूषण का सामना कर रहे हैं तो प्रदूषण खासकर
खाना पकाने के दौरान आता है। यह भी कहा जाता है कि कुछ ईंधनों के प्रयोग से भी
प्रदूषण होता है। यह सच है कि दुनिया के 90 प्रतिशत बच्चे वायु प्रदूषण से
पीड़ित हैं।