कार्डियोपल्मोनरी सर्जन
कुरनूल। आंध्र प्रदेश
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कामथुरानम नभयम नलज्जा… बुजुर्गों ने कहा..अर्थात् जब आपके पास वासना है, तो
आपको इसे पूरा करने में डरना या शर्मिंदा नहीं होना चाहिए…. प्रत्येक जीव के
ऊतक में दो कार्य होते हैं..एक है भूख, भोजन प्राप्त करना और पाचन के माध्यम
से ऊर्जा और दूसरा उस ऊर्जा का उपयोग कर रहा है..दूसरा प्रजनन कर रहा है। इसके
लिए सेक्स जरूरी है।
लेकिन इंसान एक ही है…. और इंसान का तीसरा हथियार है दिमाग… ये यौन
इच्छाओं को उत्तेजित करता है… ये जानवरों में भी मौजूद है… क्या कुछ जानवर
बढ़े हुए दिमाग के इस्तेमाल से सेक्स का इस्तेमाल सिर्फ प्रजनन के लिए करते
हैं? तो उत्तर नहीं है…
और प्रजनन के अतिरिक्त तीसरा उपयोग क्या है? मानव जाति में सभी जानवर किस
प्रयोग की आशा करते हैं और उस रोमांस का पीछा करते हैं? अगर प्रजनन लक्ष्य है
तो क्या बच्चों को जन्म के बाद सेक्स नहीं चाहिए? और क्या के कारण से?
विज्ञान की दृष्टि से सेक्स में प्रीप्ले, प्ले और आफ्टरप्ले होता है… एक
दूसरे से संतुष्ट होते हैं… वात्स्यायन कामसूत्र, अनंगरंगम, कोक्कोक शास्त्र
इसके बारे में बताते हैं..
फोरप्ले यानी सेक्स से पहले चूमना, गले लगना, सहलाना, दांत निकलना आदि, जो चरम
इच्छा पैदा करते हैं… इसके अलावा जगह, माहौल और परफ्यूम अहम भूमिका निभाते
हैं। एक स्वच्छ शरीर और एक सुखद वातावरण मन को उत्तेजित करता है, कई महिलाओं
को इसी में खुशी मिलती है…
खेल एक इंटर कोर्स महत्वपूर्ण अवस्था है, इसे हम महसूस करने के अलावा शब्दों
में नहीं कह सकते, लेकिन ऋषियों का कहना है कि उनके शरीर के सहयोग से 64
मुद्राओं में सेक्स किया जा सकता है, लेकिन हमारे समाज में सेक्स की बात करना
गलत है, यह नहीं जानते कि यह गुप्तज्ञानम है, यह विज्ञानं है।तो उन्होंने इसे
एक पशु खेल में बदल दिया,.. हमारी हर तंत्रिका प्रतिक्रिया करती है, त्वचा की
हर कोशिका उत्तेजित हो जाती है। हार्मोन बाढ़ की तरह बहते हैं। शरीर के अंगों
में दस गुना रक्त का संचार जननांगों तक पहुंचता है.. इससे हृदय 6 गुना अधिक
काम करता है… यह सब सनसनीखेज है, स्खलन होने पर मस्तिष्क से इच्छा उड़ जाती
है. लेकिन महिलाओं में इनका लेवल इतनी जल्दी कम नहीं होता है।
इसलिए खेल के बाद है… यहां तक कि यदि आप स्खलन करते हैं, तो आलिंगन में होने
से धीरे-धीरे हार्मोन वापस सामान्य हो जाते हैं… इस समय, सभी मांसपेशियां,
त्वचा और मस्तिष्क शिथिल हो जाते हैं और रक्त संचार सामान्य हो जाता है, इसलिए
आप नींद….
हमारे पास अहंकार और अभिमान है। उसमें एक इच्छा जुड़ जाती है.. जैसे ही ये दो
भाव और चार भाव एक हो जाते हैं वहां एक उत्साह होता है… तब मन शांत हो जाता
है.. फील गुड हार्मोन जैसे डोपामाइन दिमाग में रिलीज होता है. उसके बाद
स्त्री-पुरुष बहुत सकारात्मक होंगे, नकारात्मक विचारों का दमन होगा.. दुनिया
खूबसूरत होगी और जीवन खुशहाल होगा…
यदि नहीं तो हमारी संस्कृति में कहा जाता है कि धर्मार्ध काममोक्षम और
अरिशद्वर्ग की विजय परमपदसोपन के मार्ग हैं,.. हमारी संस्कृति में कहा जाता है
कि मन को दबा कर और ध्यान के माध्यम से सेक्स से उच्च स्तर पर जाकर, शरीर
बनाकर मन से खुश और सबसे भावनात्मक स्तर से परे, आनंद मिल सकता है.. लेकिन यह
हर किसी के लिए संभव नहीं है.. .
तो पुरुष हो या स्त्री, क्या वासना का दमन जरूरी है? यदि प्रश्न उठता है, तो
वह आपकी सोच का पहला कदम है.. इसमें पशु मॉडल के अलावा कुछ अतिरिक्त प्राप्त
करना है। परम सुख अंतिम चरण है…
कोई कामुकता नहीं होगी, सबसे आनंदित अवस्था में, सब कुछ स्पष्ट हो जाता है
जैसे कि एक छोटी सी रेखा के आगे एक बड़ी रेखा खींची जाती है, प्रकृति स्वयं ही
वश में हो जाएगी, वह प्रेम को जीत कर उच्चतम स्थिति में चली जाएगी…
डॉ. सी. प्रभाकर रेड्डी एमएस एमसीएच (सीटीवीएस)
कार्डियोपल्मोनरी सर्जन
कुरनूल। आंध्र प्रदेश
(ये विषय थोड़ा कठिन है.. सेक्स की बात करते हैं.. लेकिन पोर्न नहीं दिखना
चाहिए.. महिलाओं को गलत नहीं सोचना चाहिए.. सेक्स में क्या फील करना चाहिए,..
इस एहसास को छूते हैं कि प्यार से परे भी कुछ है .. यही उद्देश्य है)