एशिया और अमेरिका में चक्रवात..पाकिस्तान में विनाशकारी बाढ़…अफ्रीका के हॉर्न में भूख और सूखा..पूरे यूरोप में इन्हीं समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। ग्लोबल वार्मिंग से निपटने के तरीकों पर चर्चा करने के लिए नवंबर में लगभग 200 देश मिस्र में मिलेंगे। यह COP-27 जलवायु सम्मेलन उपरोक्त आपदाओं के खिलाफ आयोजित किया जाएगा। ग्लोबल वार्मिंग को पूर्व-औद्योगिक स्तर से दो डिग्री सेल्सियस नीचे रखने में प्रगति हुई है। 1.5 डिग्री अंतिम लक्ष्य है। हालांकि इन लक्ष्यों को 2015 के पेरिस समझौते में लिया गया था, लेकिन अब ये फिर से चर्चा में हैं। हालांकि, अनुमानों के अनुसार, सदी के अंत तक तापमान में लगभग 2.7 सेल्सियस की वृद्धि होने की संभावना है। वे जहां अभी हैं, वहां से 1.2 सेल्सियस तक बढ़ने की संभावना है।